BA Semester-5 Paper-2A Econimics - Environmental Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2774
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- "जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।' विश्लेषण कीजिए।

अथवा
पर्यावरणीय क्षरण, एवं गरीबी के मध्य सम्बन्ध पर टिप्प्णी कीजिए।

उत्तर -

 

जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण में सम्बन्ध
(Relationship among Population, Poverty and Environment)

जनसंख्या का तात्पर्य किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में दिये हुए समय में एक जाति के जीवधारियों का समूह है। मानव जनसंख्या की सम्पूर्ण विश्व में केवल एक ही जाति है जिसे होमोंसेपियंस कहते हैं। जनसंख्या वृद्धि चिन्ता का विषय है। अधिक जनसंख्या होने पर संसाधनों का दोहन अधिक होता है और उपयोग के परिणामों की चिन्ता कम की जाती है। संसाधनों के दोहन और उपयोग से प्रदूषण बढ़ता है। जनसंख्या पर्यावरण एवं पारिस्थितिक क्रम को अत्यधिक प्रभावित कर रही है। देखा जाये तो एक क्षेत्र के पारिस्थितिक क्रम के तीन अंग हैं- प्राकृतिक वातावरण, मानव या जनसंख्या और तकनीकी विकास।

प्राकृतिक वातावरण वह पृष्ठभूमि तैयार करता है जहाँ जनसंख्या निवास करती है। इस वातावरण में तकनीकी स्तर द्वारा मानव कतिपय परिवर्तन लाकर उसका अधिकतम उपयोग करता है और उसे अपने अनुकूल बनाने या स्वयं को उसके अनुकूल ढालने का प्रयास करता है। इस क्रम में जहाँ वह अपना विकास करता है, वहीं कतिपय पर्यावरण की व्यवस्था मंे व्यतिक्रम उपस्थित कर पारिस्थितिक क्रम में बाधा डालकर न केवल तत्कालिक हानि पहुँचाता है, बल्कि भविष्य के लिए भी अनेक समस्याओं का कारण बन जाता है।

मानव पर्यावरण द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करता है, इसके लिए वह बुद्धि, क्षमता तथा तकनीक आदि का प्रयोग कर पर्यावरण के तत्वों को परिवर्तित एवं शोधित करता रहता है। जब भी जनसंख्या में वृद्धि होती है तो उसे रहने के लिए भूमि, कृषि, पशुपालन एवं अन्य सामाजिक कार्यों के लिए स्थान की आवश्यकता होती है। इसके लिए वह वनों को साफ करता है, वन्य जीवों को मारता है, बाँध बनाता है, नहरें, सड़कें, रेलमार्ग बनाता है, उद्योग स्थापित करते हैं, संसाधनों का अधिकतम शोषण करने लगता है। वैज्ञानिक और तकनीकी विकास से वह अजैविक वातावरण को भी अत्यधिक प्रभावित करता है जो निम्नलिखित रूपों में दृष्टिगत होता है -

(i) मृदा का अधिक अपरदन एवं अन्यत्र जमाव,
(ii) मृदा की प्राकृतिक, रासायनिक एवं जीवाणु संरचना में परिवर्तन
(iii) भूमिगत जल की मात्रा एवं उत्तमता में परिवर्तन
(iv) ग्रामीण क्षेत्र की जलवायु में सीमित एवं नगरीय क्षेत्रों की जलवायु में अत्यधिक परिवर्तन।
(v) जीव-जन्तुओं एवं वनस्पति की अनेक प्रजातियों का लुप्त होना।

जनसंख्या का दबाव जैसे-जैसे पर्यावरण पर अधिक होता जाता है, वह पर्यावरण का अधिक शोषण करने लगता है और पारिस्थितिक तन्त्र को उतनी ही अधिक हानि होने लगती है। इस पर सर्वाधिक प्रभाव नगरों में जनसंख्या जमाव अर्थात् नगरीकरण का होता है। जनसंख्या का पर्यावरण प्रभाव निम्नलिखित रूपों में दृष्टिगत होता है-

1. वनोन्मूलन
2. कृषि विस्तार, भूमि का अधिक उपयोग, उर्वरा शक्ति में कमी।
3. जीव-जन्तुओं का विनाश,
4. जल आपूर्ति में कमी,
5. पर्यावरण प्रदूषण जल, वायु शोर एवं भूमि प्रदूषण में उत्तरोत्तर वृद्धि,
6. जलवायु में क्रमिक परिवर्तन
7. संसाधनों के शोषण में वृद्धि आदि।

निर्धनता सबसे बड़ा पाप है। यह भी पर्यावरण अवनयन का कारण व परिणाम है। अल्प विकसित व विकासशील देशों में जहाँ निर्धनता अधिक हैं वहाँ के लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्यावरण सन्तुलन को बिना ध्यान में रखे संसाधनों का अंधाधुंध विदोहन करते हैं जिससे पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। निर्धन देश अपने उपभोक्ता सामानों को प्राप्त करने के लिए विकसित देशों के निर्देशन पर संसाधनों का दोहन करते हैं। गरीब देश विदेशी मुद्रा की प्राप्ति के लिए व्यापार सन्तुलन बनाये रखने के लिए विदेशी उपभोक्ता सामग्रियों की प्राप्ति के लिए, विदेशी कर्ज का भुगतान इत्यादि करने के लिए अपने संसाधनों का निर्दयतापूर्वक शोषण करते हैं। अमेजन घाटी में वन विनाश, ब्राजील में वन विनाश, भारत में खनिज संसाधनों का विदोहन, निर्धनतावश उक्त कारणों से किया जा रहा है जिससे वहाँ पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। अल्पविकसित देशों में गरीबीवश झूमिंग विधि से कृषि तथा तीव्र ढालूयें पर्वतीय मार्गों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जा रही है जिससे मिट्टी अपरदन, वन विनाश, भूमि स्खलन इत्यादि वहाँ बढ़ रहा है।

पारिस्थितिकीय तन्त्र में असन्तुलन उत्पन्न होने पर उसका शिकार भी गरीब लोग ही होते हैं। जैसे खान दुर्घटना होने पर गरीब लोग ही मृत्यु का शिकार होते हैं। वन विनाश जिस प्रकार भी हो उसका भी शिकार गरीब लोगों को ही होना पड़ता है। यदि पर्वतीय ढालों पर खेती करने से भूमि स्खलन या मृदा अपरदन होता है तो उसका भी शिकार निर्धन लोग ही होते हैं। क्योंकि ऐसा होने पर उनके जीवन का आधार छिन जाता है। यदि बाढ़ या प्राकृतिक प्रकोप आते हैं तो उसका भी कुफल गरीबों को ही भोगना पड़ता है। निर्धनता के कारण ही सामाजिक पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। अतः इस प्रकार निर्धनता पर्यावरण अवनयन का कारण व परिणाम दोनों है। स्पष्ट होता है कि जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।


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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।
  3. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना को समझाइये।
  4. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना बताइए।
  6. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार बताइए तथा पारिस्थितिक तन्त्र के महत्व का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- विकास में पारिस्थितिक तन्त्र का महत्व क्या है?
  8. प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- कल्याणवादी अर्थशास्त्र में पैरेटो अनुकूलतम की शर्तें पूर्ण प्रतियोगिता में कैसे पूरी होती हैं? .आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की अवधारणाएँ समझाइए।
  11. प्रश्न- पेरेटो के कल्याण अर्थशास्त्र की अथवा इससे सम्बद्ध अनुकूलतम शर्तों की मान्यताएँ बताइए।
  12. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  13. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  14. प्रश्न- बाह्यताओं का आशय बताइये।
  15. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  16. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय नीतियों के संक्षिप्त अवलोकन का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत की पर्यावरणीय नीति के सिद्धान्त बताइये।
  18. प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरणीय नीति, 2006 क्या हैं?
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के उद्देश्य बताइए।
  21. प्रश्न- पर्यावरण में वृहत आर्थिक नीति की भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय जल नीति को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- भारत में वन नीति को समझाइए।
  24. प्रश्न- सतत विकास को प्राप्त करने में पर्यावरणीय नीति कहाँ तक सहायक रही है?
  25. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण हेतु नीतिगत उपकरण बताइये।
  26. प्रश्न- पीगूवियन कर क्या है?
  27. प्रश्न- सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दों से आप क्या समझते हैं?
  28. प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसके मूल्यांकन की विधियों को बताइये। पर्यावरणीय मूल्यांकन की स्पष्ट अधिमान विधियों का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की अभिव्यक्त अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- आनन्द कीमत विधि क्या है? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए तथा इसकी आलोचनाएँ भी बताइए।
  35. प्रश्न- प्रतिबन्धात्मक व्यय विधि को समझाइये।
  36. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए - (a) प्रतिनिधि बाजार रीति तथा (b) सम्पत्ति मूल्य रीति।
  37. प्रश्न- मजदूरी-विभेदात्मक उपागम बताइये।
  38. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की लागत आधारित विधियाँ का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- पुनः स्थानीयकरण लागत रीति विशेषताएँ क्या है?
  40. प्रश्न- प्रतिस्थापन लागत विधि क्या है? इस विधि को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विकास मॉडल की सामाजिक सीमाएँ सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- हरित लेखांकन से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  44. प्रश्न- परिमाण प्रत्युत्तर विधि को बताइए।
  45. प्रश्न- मानव पूँजी अथवा पूर्वानुमानित विधि को समझाइए।
  46. प्रश्न- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आंकलन के निर्देशक सिद्धान्त क्या हैं?
  47. प्रश्न- पर्यावरण नीति व विनियमों का लागत लाभ विश्लेषण का विश्लेषण कीजिए।
  48. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों की माप में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों के मापन से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- पर्यावरणीय क्षति से आप क्या समझते हैं?
  51. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  53. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  54. प्रश्न- सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- सतत् विकास के अवरोधक घटकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- सतत् विकास के संकेतकों या मापकों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- सतत् विकास के लिए भारत द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
  58. प्रश्न- सतत् विकास की रणनीति पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  59. प्रश्न- बाह्यताओं का पीगूवियन विश्लेषण समझाइये।
  60. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  61. प्रश्न- उत्पादन की सकारात्मक बाह्यताओं को पीगू के विश्लेषण के अनुसार समझाइए।
  62. प्रश्न- पीगू के विश्लेषण के अनुसार उत्पादन की नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  63. प्रश्न- उपभोग में सकारात्मक बाह्यताओं पर टिप्पणी लिखिए तथा इसमें नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  64. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। बाह्यताओं तथा बाजार विफलताओं को किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- सार्वजनिक खराबी किसे कहते हैं?
  66. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुएँ क्या विशेषताएँ रखती हैं?
  67. प्रश्न- बाह्यताओं एवं बाजार विफलताओं को दूर करने के उपाय बताइये।
  68. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए। कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  69. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  70. प्रश्न- पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  72. प्रश्न- बाजार असफलता किन दशाओं में सम्भव है?
  73. प्रश्न- पीगूवियन सब्सिडी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- बाह्यताओं के समाधान हेतु सुझाव क्या हैं?
  75. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  76. प्रश्न- सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में प्रो. रोनाल्ड कोज की प्रमेयों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रो. आर. कोज द्वारा सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में बतायी गयी द्वितीय प्रमेय को समझाइये।
  78. प्रश्न- कोज द्वारा बताए गए प्रमेयों का महत्व समझाइए।
  79. प्रश्न- सम्पदा अधिकार के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
  80. प्रश्न- मानव पूँजी के अवयव लिखिए।
  81. प्रश्न- पर्यावरण एक सार्वजनिक वस्तु है। समझाइए।
  82. प्रश्न- पर्यावरणीय गुणवत्ता का आशय एवं महत्व बताइये।
  83. प्रश्न- इको लेबलिंग (Eco Labelling) का क्या अर्थ है?
  84. प्रश्न- पर्यावरण दक्षता (Eco Efficiency) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके लक्षण बताइए। इसके लक्ष्यों को भी लिखिए।
  86. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्षण बताइए।
  87. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्ष्य बताइये।
  88. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लाभ बताइये। सतत् सुधार चक्र को समझाइये।
  89. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यक्षेत्र तथा आवृत्ति को बताइए। पर्यावरणीय अंकेक्षण के क्या लाभ होते हैं?
  90. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण की आवश्यकता बताइये।
  91. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण का कार्यक्षेत्र समझाइए। यह किसे करना चाहिए?
  92. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण के लाभ बताइये।
  93. प्रश्न- पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में भारतीय संविधान के प्रावधान बताइये।
  94. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्धन क्या है?
  95. प्रश्न- प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध से आपका क्या तात्पर्य है?
  96. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण प्रोटोकॉल का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- प्रभावी पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के प्रमुख तत्व बताइये।
  99. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा का आशय एवं परिभाषा बताइये। पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट करते हुए इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को समझाइये।
  101. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- मूल्य-आधारित पर्यावरणीय शिक्षा क्या है? इसका महत्व एवं आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मूल्य आधारित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता समझाइये।
  104. प्रश्न- पर्यावरणीय शिक्षा को प्रभावी बनाने हेतु उपायों का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- पर्यावरणीय जागरूकता से आप क्या समझते हैं? पर्यावरणीय जागरूकता / शिक्षा के उपाय बताइये।
  106. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय शिक्षा पर लेख लिखिए।
  107. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के प्रसार के अवरोधों को दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- पर्यावरणीय विधान पर टिप्पणी लिखिए।
  110. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  111. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन एवं पर्यावरण पर लेख लिखिए।
  112. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के अन्तर्गत व्यापार तथा पर्यावरणीय मुद्दों को समझाइये।
  113. प्रश्न- "जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।' विश्लेषण कीजिए।
  114. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य के मध्य सम्बन्ध का परीक्षण कीजिए।
  115. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है?
  116. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
  117. प्रश्न- व्यापार एवं पर्यावरण में सम्बन्ध लिखिए।
  118. प्रश्न- पर्यावरण पर मनुष्य का क्या प्रभाव पड़ा है?
  119. प्रश्न- लिंग समानता तथा पर्यावरण को बताइये।
  120. प्रश्न- ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
  121. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  122. प्रश्न- पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco System) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- यूरो मानक से क्या समझते हो?
  124. प्रश्न- भारतीय उत्सर्जन मानक (BS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- प्रमुख वैश्विक पर्यावरण मुद्दों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- वैश्विक ऊष्मीकरण या वैश्विक उष्मण।
  127. प्रश्न- मरुस्थलीयकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- ओजोन परत व उसके क्षरण पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं?
  130. प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण में भारत की न्यायपालिका की सक्रियता या भूमिका का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- कार्बन ट्रेडिंग या कार्बन व्यापार से आप क्या समझते हैं?

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